Kalash Sthapana - कलश स्थापना विधि एवं कलश पूजन मंत्र

कलश स्थापना विधि: साथियों एकबार फिर से स्वागत है आस्था दरबार में और आज चर्चा करने वाले हैं  कलश स्थापना विधि  ( kalash sthapana vidhi) के बारे में  जिसमें आज मैं  आपको बताउंगा की कलश स्थापना कैसे करें ?  वो भी  कलश पूजन मंत्र के साथ और कलश स्थापन में उपयोग में आनेवाले कुछ सामग्रियों को भी समझेंगे | 

किसी भी देवकर्म में कलश पूजन अनिवार्य रूप से किया जाता है लेकिन यदि रात्रि का समय हो तो कलश स्थापन वर्जित है | इसलिए ध्यान रहे रात्रि के समय भूल से भी कलश स्थापन न करें |

कलश पूजन में जलाधिपति वरुणदेव तथा वेदों, तीर्थों, नदियों, सागरों, देवियों एवं देवताओं आवाहन एवं पूजन करना चाहिए |  


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अथ कलश स्थापन विधि

कलश में रोली से स्वस्तिक का चिन्ह बनायें तथा कलश के गले में तीन धागावाली रक्षासूत्र लपेट दें।  जिस जगह कलश स्थापन करना हो उस स्थान को स्वच्छता पूर्वक साफ करने के उपरांत कलश स्थापित किये जानेवाली भूमि अथवा पाटेपर कुङ्कम या रोली से अष्टदल कमल बनाकर निम्न मन्त्र से भूमि का स्पर्श करें-

भूमि का स्पर्श

ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं। पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृ ग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः ॥


धान्य प्रक्षेप

निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर पूजित भूमिपर सप्तधान्य अथवा गेहूँ, चावल या जौ' रख दें-
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।।

कलश स्थापना मंत्र

 निम्न मंत्र को पढ़कर पूजित भूमि पर कलश को स्थापित करें-
ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव: । पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः ॥

कलश में जल

निम्नलिखित मंत्र से कलश में जल छोड़ें -
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद ।।

कलश में चन्दन

निम्नलिखित मंत्र से कलश में चंदन छोड़ें-
ॐ त्वां गन्धर्वा अखनस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः । त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत ।।

सर्वौषधि

निम्नलिखित मंत्र से कलश में सर्वौषधि छोड़ें-
ॐ या ओषधी: पूर्वाजातादेवेभ्यस्त्रियुगंपुरा । मनै नु बभ्रूणामह ग्वंग शतं धामानि सप्त च ॥

कलश में दूब

निम्नलिखित मंत्र से कलश में दूर्वा (दूब) छोड़ें-
ॐ काण्डात्काण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि । एवा नो दूर्वे प्र तनु सहस्रेण शतेन च ॥

कलश पर पञ्चपल्लव

निम्नलिखित मंत्र से कलश पर पंचपल्लव चढ़ाएं- 
ॐ अश्वस्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता । गोभाज इत्किलासथ यत्सनवथ पूरुषम् ।।

कलश में पवित्री

निम्नलिखित मंत्र से कलश में कुश छोड़ें -
ॐ पवित्रे स्थो वैष्णव्यौ सवितुर्वः प्रसव उत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रेण सूर्यस्य रश्मिभिः । तस्य ते पवित्रपते पवित्र पूतस्य यत्कामः पुने तच्छकेयम् ॥

कलश में सप्तमृत्तिका

निम्नलिखित मंत्र से कलश में सप्तमृत्तिका छोड़ें-
ॐ स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी । यच्छा नः शर्म सप्रथाः। 

सुपारी

निम्नलिखित मंत्र से कलश में सुपारी छोड़ें-
ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः । बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ग्वंग हसः ॥

कलश में पञ्चरत्न

निम्नलिखित मंत्र से कलश में पंचरत्न चढायें-
ॐ परि वाजपतिः कविरग्निर्हव्यान्यक्रमीत् । दधद्रत्नानि दाशुषे।

कलश में द्रव्य

निम्नलिखित मंत्र से कलश में द्रव्य छोड़ें-
ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्। स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ।।

वस्त्र

निम्नलिखित मंत्र पढ़ते हुए कलश को वस्त्र से अलंकृत करें-
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः । वासो अग्ने विश्वरूप ग्वंग सं व्ययस्व विभावसो ।।

कलश पर पूर्णपात्र

चावल से भरे पूर्णपात्र को कलशपर स्थापित करें-
ॐ पूर्णा दर्वि परा पत सुपूर्णा पुनरा पत । वस्नेव विक्रीणावहा इषमूर्ज ग्वंग शतक्रतो ।।

नारियल

कलश पर लाल कपड़ा लपेटे हुए नारियल को निम्न मंत्र पढ़कर रखें - 
ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः ।।

अथ कलश पूजन प्रारंभ

कलश में वरुण का ध्यान और आवाहन

 निम्न मंत्र पढ़कर वरुण का ध्यान तथा आवाहन करें-
ॐ तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः । अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः ।

अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि ।

ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण ! इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण। 'ॐ अपां पतये वरुणाय नमः'
यह कहकर अक्षत-पुष्प कलश के पास छोड़ दें।

चारों वेद एवं अन्य देवी-देवताओं का आवाहन

फिर हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर चारों वेद एवं अन्य देवी-देवताओं का आवाहन करें- 
कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः ।
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्येमातृगणाःस्मृताः॥
कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्तद्वीपा वसुन्धरा ।
ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः ।।
अङ्गैश्च सहिताः सर्वे कलशं तु समाश्रिताः ।
अत्र गायत्री सावित्री शान्तिः पुष्टिकरी तथा ।।
आयान्तु देवपूजार्थं दुरितक्षयकारकाः ।
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धुकावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ।।
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः ।
आयान्तु मम शान्त्यर्थं दुरितक्षयकारकाः ॥

इस तरह जलाधिपति वरुणदेव तथा वेदों, तीर्थों, नदियों, सागरों, देवियों एवं देवताओं के आवाहन के बाद-

प्राण प्रतिष्ठा

हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र से कलश की प्राण प्रतिष्ठा करें-
ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु । विश्वे देवास इह मादयन्तामो३म्प्रतिष्ठ ।।

कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः सुप्रतिष्ठिता वरदा भवन्तु। ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः ।
यह कहकर अक्षत-पुष्प कलश के पास छोड़ दें।

ध्यान

हाथ में पुष्प लेकर कलश में आवाहित वरुण आदि देवताओं का ध्यान करें- 
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, ध्यानार्थे पुष्पं समर्पयामि ।



आसन

अक्षत लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए आवाहित देवताओं को आसन के लिए निवेदन करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि ।

पाद्य

पद्य के लिए जल चढायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, पादयोः पाद्यं समर्पयामि।

अर्घ्य

अर्घ्य के लिए जल चढायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, हस्तयोरर्घ्यम् समर्पयामि।

स्नानीय जल

स्नान के लिए जल चढायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, स्नानीयं जलं समर्पयामि।

स्नानाङ्ग आचमन

स्नान के बाद आचमन के लिए जल चढायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

पञ्चामृतस्नान

कलश में अवहित देवताओं को पञ्चामृत से स्नान करायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, पञ्चामृतस्नानं सर्पयामि ।

गन्धोदक-स्नान

जल में मलयचन्दन मिलाकर स्नान करायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, गन्धोदकस्नानं समर्पयामि।

शुद्धोदक-स्नान

शुद्ध जल से स्नान करायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, स्रानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि।

आचमन

आचमन के लिये जल चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

वस्त्र

वस्त्र चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, वस्त्रं समर्पयामि ।

आचमन
आचमन के लिये जल चढ़ायें-
ॐवरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि ।

आचमन

आचमन के लिये जल चढ़ायें-
ॐ बरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

उपवस्त्र

उपवस्त्र चढ़ायें-
ॐ वरुणायावाहितदेवताभ्यो नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि।

आचमन

आचमन के लिये जल चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, उपवस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

चन्दन

 चन्दन लगायें-
ॐ वरुणाधावाहितदेवताभ्यो नमः, चन्दनं समर्पयामि ।

अक्षत

अक्षत समर्पित करें-
वरुणाधावाहितदेवताभ्यो नमः, अक्षतान समर्पयामि।

पुष्प, पुष्पमाला


पुष्प और पुष्पमाला चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, पुष्पं पुष्पमाल्यम  समर्पयामि।

नानापरिमल-द्रव्य

विविध परिमल गच्य समर्पित करें-
ॐ वरुणाधावाहितदेवताभ्यो नमः, नानापरिमलद्रव्याणि सपर्पयामि।

सुगन्धित द्रव्य

सुगन्धित द्रव्य चढ़ाएँ-
ॐ वरुणायावाहितदेवताभ्यो नमः, सुगन्धितद्रव्यं समर्पयामि ।

धूप

धूप आनापित करायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, धूपमघ्रापयामि।

दीप

दीप दिखायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, दीपं दर्शयामि।

हस्तप्रक्षालन

दीप दिखाकर हाथ धो लें।

नैवेद्य 

नैवेद्य निवेदित करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, सर्वविधं नैवेद्य निवेदयामि ।

आचमन आदि


आचमनीय एवं पानीय तथा मुख और हस्त प्रक्षालन के लिये जल चढ़ायें- 
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, आचमनीयं जलम्, मध्ये पानीयं जलम्, उत्तरापोऽशने, मुखप्रक्षालनार्थे, हस्तप्रक्षालनार्थे च जलं समर्पयामि ।

करोद्वर्तन

 करोद्वर्तन के लिये गन्ध समर्पित करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, करोद्वर्तनं समर्पयामि ।

ताम्बूल

सुपारी, इलायची, लौंग सहित पान चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, ताम्बूलं समर्पयामि।

दक्षिणा

द्रव्य-दक्षिणा चढ़ायें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, कृतायाः पूजायाः साद्गुण्यार्थे द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि ।

आरती

आरती करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, आरार्तिकं समर्पयामि।

पुष्पाञ्जलि

पुष्पाञ्जलि समर्पित करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, पापुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ।

प्रदक्षिणा


प्रदक्षिणा करें-
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि।

प्रार्थना

हाथ में पुष्प लेकर इस प्रकार प्रार्थना करें-

देवदानवसंवादे मथ्यमाने महोदधौ ।
उत्पन्नोऽसितदा कुम्भ विधृतो विष्णुनास्वयम्॥
त्वत्तोये सर्वतीर्थानि देवाः सर्वे त्वयि स्थिताः ।
त्वयि तिष्ठन्ति भूतानि त्वयि प्राणाः प्रतिष्ठिताः ।।
शिवः स्वयं त्वमेवासि विष्णुस्त्वं च प्रजापतिः ।
आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवाः सपैतृकाः ।।
त्वयि तिष्ठन्ति सर्वेऽपि यतः कामफलप्रदाः ।
त्वत्प्रसादादिमा पूजा कर्तुमीहे जलोद्भव ।
सांनिध्यं कुरु मे देव प्रसन्नो भव सर्वदा।।

नमो नमस्ते स्फटिकप्रभाय सुश्वेतहाराय सुमङ्गलाय।सुपाशहस्ताय झषासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते ॥

इस नाम-मन्त्र से नमस्कारपूर्वक पुष्प समर्पित करें-

ॐ अपां पतये वरुणाय नमः। नमस्कार-ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि।

समर्पण

अब हाथ में जल लेकर निम्नलिखित वाक्यका उच्चारण कर जल कलश के पास छोड़ते हुए समस्त पूजन-कर्म भगवान् वरुणदेव को निवेदित करें-

कृतेन अनेन पूजनेन कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः प्रीयन्तां न मम।

इति कलश स्थापना (Kalash Sthapana) विधि

 निष्कर्ष

इस कलश स्थापना विधि में आपने सीखा कलश स्थापन, वरुण देव का आवाहन, कलश में वेदों, तिर्थादि नदियों आदि का आवाहन, कलश पूजन, आरती, पुष्पांजलि, एवं पूजन कर्म समर्पण के बारे में | उम्मीद करता हूँ यह कलश स्थापना विधि आपके काम जरूर आएगा|

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4 टिप्पणियाँ

आस्था दरबार से जुड़ने के लिए धन्यवाद ||
||जय श्री राधे ||

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