गणेश पूजा विधि मंत्र सहित - गणेश षोडशोपचार पूजन विधि


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गणेश पूजा विधि मंत्र सहित स्वागत है आपका आस्था दरबार में | दोस्तों! आज हम बात करनेवाले हैं गणेश पूजा के बारे में आखिर क्या है गणेश पूजन की विधि और कैसे करें गणेश पूजा ? यहाँ हम आपको गणेश पूजन के दो प्रकार के बारे में बताने वाले हैं जिसमे सबसे पहले हम जानेंगे गणेश पूजन के पंचोपचार विधि के बारे में  और उसके बाद गणेश षोडशोपचार पूजन विधि को समझने वाले है |


इस गणेश पूजन विधि मंत्र सहित के लेख के माध्यम से आप अपने घर,ऑफिस या फिर आप जहाँ चाहें बिना किसी के मदद के गणेश पूजा कर सकते है | किसी भी देवकर्म को करने से पहले  गणेश पूजा का विधान है | गणेश प्रथम पूज्य हैं इस लिए इनकी पूजा सभी देवताओं से पहले की जाती है


वैसे तो पूजन विधि के कई प्रकार हैं जैसे - गणेश पंचोपचार पूजन विधि गणेश दस उपचार पूजन विधिगणेश सोलह उपचार पूजन विधि और गणेश मानस पूजा विधि लेकिन आज हम सिर्फ दो पूजा विधि के बारे में सीखेंगे | 

गणेश पूजा विधि मंत्र सहित


सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर पवित्र स्थान पर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करलें  और एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएँ | उसके बाद कर्मपात्र पूजन करें    (कर्मपात्र पूजन से तात्पर्य है प्रारंभिक पूजन प्रक्रिया )  

कर्मपात्र पूजन के लिए यहाँ क्लिक करें - कर्मपात्र पूजन 

उसके पश्चात स्वतिवाचन का पाठ करें 
कर्मपात्र पूजन एवं स्वस्तिवाचन करने के उपरान्त गणेश पूजन संकल्प करें -

गणेश पूजन संकल्प 



ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे . जम्बूद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तेकदेशे.....नगरे/ग्रामे/क्षेत्रो (अविमुक्तवाराणसीक्षेत्रे आनन्दवने महाश्मशाने गौरीमुखे त्रिकण्टकविराजिते) वैक्रमाब्दे ....संवत्सरे.....मासे....शुक्ल/कृष्णपक्षे.... तिथौ... बासरे....प्रात:/सायंकाले....गोत्रः ....शर्मा/ वर्मा/गुप्तः अहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं मम सकुटुम्बस्य सपरिवारस्य क्षेमस्थैर्यायुरारोग्यैश्वर्या भिवृद्ध्यर्थ माधिभौतिकाधिदैविकाध्यात्मिक त्रिविध ताप शमनार्थं धर्मार्थकाम मोक्ष फल प्राप्त्यर्थं नित्य कल्याण लाभाय भगवत्प्रीत्यर्थं ....देवस्य पूजनं करिष्ये। 


संकल्प के पश्चात् न्यास करे- 

गणेश पूजन अङ्गन्यास


मन्त्र बोलते हुए दाहिने हाथ से बताये गए अङ्गो को स्पर्श करे।


सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्त्रपात् । स भूमि' ग्वंग सर्वत स्पृत्वाऽत्यतिष्ठ द्दशा ङ्गुलम् ।।

बायें हाथ को स्पर्श करें 

पुरुष एवेद: सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् । उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ॥


दाहिना हाथ को स्पर्श करें 

एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः । पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्थामृतं दिवि ।।

बायाँ पैर को स्पर्श करें

त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवत् पुनः ।ततो विष्वङ् व्यक्रामत्साशनानशने अभि ।।

दाहिना पैर को स्पर्श करें

ततो विराडजायत विराजो अधि पूरुषः ।स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥

वाम जानु को स्पर्श करें

तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् । पघ्रस्ताँश्चक्रे वायव्यानारण्या ग्राम्याश्च ये ।।

दक्षिण जानु को स्पर्श करें 

तस्माद्यज्ञात् सर्वहुत ऋचः सामानि जज्ञिरे । छन्दा सि जज्ञिरे तस्माद्य जुस्तस्मा दजायत ।।
वाम कटिभाग को स्पर्श करें

तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माजाता अजावयः ॥

दक्षिण कटिभाग को स्पर्श करें

तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः । तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये॥

नाभि को स्पर्श करें

यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् ।मुखं किमस्यासीत् किं बाहू किमूरू पादा उच्यते ।।

हृदय को स्पर्श करें

ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीबाहू राजन्यः कृतः ।ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पश्या: शूद्रो अजायत ।।

वाम बाहु को स्पर्श करें

चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मखादग्निरजायत ।

दक्षिण बाहो को स्पर्श करें


नाभ्या आसीदन्तरिक्ष शीणों द्यौः समवर्तत ।पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ२ अकल्पयन् ।।

कण्ठ को स्पर्श करें

यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ।।


मुख को स्पर्श करें

सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः ।देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुषं पशुम् ॥

आँख 
को स्पर्श करें 

यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥

मूर्धा 
को स्पर्श करें



गणेश पूजन पञ्चाङ्गन्यास


अद्भ्यः सम्भृतः पृथिव्यै रसाच्च विश्वकर्मणः समवर्तताग्रे । तस्य त्वष्टा विदधद्द्रूपमेति तन्मर्यस्य देवत्वमाजानमग्रे ।।

हृदयाय नम: हृदय को स्पर्श करें |

वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसः परस्तात् । तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय ॥

सिरसे स्वाहा माथा को स्पर्श करें |

प्रजापतिश्चरति गर्भे अन्तरजायमानो बहुधा वि जायते । तस्य योनिं परि पश्यन्ति धीरास्तस्मिन् ह तस्थुर्भुवनानि विश्वा ।।


शिखाये वौषट शिखा को स्पर्श करें |

यो देवेभ्य आतपति यो देवानां पुरोहितः । पूर्वो यो देवेभ्यो जातो नमो रुचाय ब्राह्मये ।।


कवचाय हुम् दोनों कंधों का स्पर्श करे|

रुचं ब्राह्यं जनयन्तो देवा अग्रे तदब्रुवन्। यस्त्वैवं ब्राह्मणो विद्यात्तस्य देवा असन् वशे ।।


अस्त्राय फट, बायें हथेली पर ताली बजायें|


गणेश पूजन करन्यास


ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीबाहू राजन्यः कृतः । ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्या ग्वंग शूद्रो अजायत ॥ अङ्गुष्ठाभ्यां नमः

 दोनों अंगूठों का स्पर्श करे |

चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत । श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ।।
तर्जनीभ्यां नमः

दोनों तर्जनियों का स्पर्श करे|


नाभ्यां आसीदन्तरिक्ष शीष्णों द्यौः समवर्तत । पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकार अकल्पयन् ॥ मध्यमाभ्यां नमः

दोनों मध्यमाओं का स्पर्श करे|

यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत । वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्यः शरद्धविः ।।
अनामिकाभ्यां नमः

दोनों अनामिकाओं का स्पर्श करे |
 

सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः । देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुष पशुम् ॥कनिष्ठिकाभ्यां नमः

दोनों कनिष्ठिकाओं का स्पर्श करे|
 


यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् । ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्व साध्याः सन्ति देवाः ।। करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । 


दोनों करत्तल और करपृष्ठों का स्पर्श करे
 


गणेश पूजन  गणेश पूजन अङ्गन्यासगणेश पूजन पञ्चाङ्गन्यासगणेश पूजन कर न्यास करने के उपरांत आप देव पूजन के अधिकारी हो जाते हैं | इसीलिए ये तीनों न्यास आपको जरूर करने चाहिए उसके बाद गणेश पूजन प्रारंभ करें |



गणेश पंचोपचार पूजा विधि 


इस विधि में हम भगवान् गणेश का पांच उपचारों से पूजा करते हैं, जिसमे १. गंध२. पुष्प३.धूप४.दीप और ५.नैवेद्य ये पांच मुख्य उपचार होते हैं |

हाथ में अक्षत लेकर ध्यान करे

भगवान् गणेश का ध्यान


गजाननंभूत गणादि सेवितं कपिस्थजम्बू फलचारुभक्षणम् । उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

ध्यायेध्यानं समर्पयामि ॐ भगवते श्री गणेशाय नम:

हाथ में लिया हुआ अक्षत भगवान् गणेश को अर्पण कर दें 

अक्षत लेकर गणेश का आवाहन करें -

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः नमस्ते रुद्र रूपाय करि रूपाय ते नमः ।विश्व रूप स्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे भक्त प्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक ।।


ॐ भूर्भुवः श्वः भगवन श्री गणेश इहागच्छ इह तिष्ठ |

जल लेकर पाद्य, अर्घ, आचमन आदि कराएँ –


एतानि पाद्य- अर्घ्य- आचमनीय- स्नानीय- पुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |

गणेश जी को चन्दन चढाते हुए यह मंत्र बोलें |

इदमनुलेपनम् ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |

सिन्दूर चढाते हुए यह मंत्र बोलें |

इदं सिन्दूरम् ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |

अक्षत चढाते हुए यह मंत्र बोलें |

इदमक्षतम् ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |

पुष्प चढाते हुए यह मंत्र बोलें |

एतानि पुष्पाणि ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |

जल से नैवेद्य आदि क उत्सर्ग करें –

एतानि गंध पुष्प धुप दीप यथा भाग नानाविध नैवेद्यानी ॐ भगवते श्री गणेशाय नमः |


हाथ में अक्षत पुष्प लेकर ध्यान करे-


खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्दन्मद गन्धलुब्ध मधुप व्यालोल गण्ड स्थलम् ।दन्ता घात विदारितारि रुधिरैः सिन्दूर शोभाकरं वन्दे शैलसुता सुतं गणपतिं सिद्धि प्रदं कामदम् ॥

ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ भगवते श्री गणेशायनमः। 


साथियों जैसा कि आपने देखा पंचोपचार पूजन विधि बहोत ही सरल है | और यह पूर्ण प्रमाणिक पूजन विधि है | यदि आप मंत्र स्लोको का सही उच्चारण नहीं कर सकते तो आपको पांच उपचार विधि से ही गणेश पूजा करनी चाहिए | 




गणेश षोडशोपचार पूजन विधि 

गणेश षोडशोपचार पूजन विधि में हम भगवान् श्री गणेश की १६ उपचारों से पूजन करेंगे जिसमे - १-पाद्य, २-अर्ध्य, ३-आचमन, ४-स्नान, ५-वस्त्र, ६-आभूषण, ७-गन्ध, ८-पुष्प, ९-धूप, १०-दीप, ११-नैवेद्य, १२-आचमन, १३-ताम्बूल, १४-स्तवपाठ, १५-तर्पण और १६-नमस्कार आदि शामिल हैं | सबसे पहले भवन गणेश का ध्यान करें -

गणेश ध्यान मंत्र 

हाथ में अक्षत पुष्प लेकर ध्यान करे-

एह्येहि हेरम्ब महेशपुत्र समस्त विघ्नौष विनाशदक्ष ।माङ्गल्य पूजा प्रथम प्रधान गृहाण पूजां भगवन् नमस्ते ।। 
  
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ भगवते श्री गणेशायनमः। 

पुष्प अक्षत गणेश जी पर चढ़ा दें |


गणेश आवाहन मंत्र  

फिर से हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र बोलें-

ॐ गणानां त्वा गणपति ग्वंग हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति ग्वंग हवामहे निधीनां त्वा निधिपति ग्वंग हवामहे वसो मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ।।


ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुद्धिसहिताय गणपतये नमः, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च।

हाथ के अक्षत गणेश जी पर चढ़ा दे। 


गणेश प्राण प्रतिष्ठा मंत्र


हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र बोलें-

मनो जूति र्जुषता माज्यस्य बृहस्पति र्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ ग्वंग समिमं दधातु। विश्वे देवास इह पादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ।।

अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च। अस्यै देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन ।


भगवन श्री गणेश! सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम् । प्रतिष्ठा पूर्वकम् आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि ॐ भगवते श्री गणेशाय नम:।

आसन के लिये अक्षत समर्पित करे।


पाद्य, अर्घ्य, आचमनीय,


ॐ देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनोर्बाहुभ्यां स्नानीय, पुनराचमनीय पूष्णो हस्ताभ्याम् ॥ 

एतानि पाद्यार्घ्याचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि समर्पयामि ॐ भगवते श्री गणेशाय नम: । 

इतना कहकर तीन बार जल चढ़ायें। 

दुग्ध स्नान


भगवान को दूध से स्नान कराते हुए निम्न मंत्र बोलें

पयः पृथिव्यां पय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धाः । पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम् ॥ 
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवन परम्। पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम् ।।


ॐ भूर्भुवः स्वः 
भगवते श्री गणेशाय नम:, पयःस्नान समर्पयामि।

दघि स्नान


निम्न मंत्र बोलते हुए दधि से स्नान कराये

ॐ दधिक्राव्णों अकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः । सुरभि नो मुखा करत्प्रण आयू ग्वंग षि तारिषत् ।। 

 पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम् । दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रति गृह्यताम् ॥


ॐ भूर्भुव: स्व: 
भगवते श्री गणेशाय नम:, दधिस्नानं समर्पयामि । 
 
घृत स्नान

निम्न मंत्र से भगवान् को घी से स्नान करायें-


ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्ययोनिर्घृते श्रितो घृतम्वस्य धाम । अनुष्वधमा वह मादयस्व स्वाहा कृतं वृषभ वक्षि हव्यम् ॥ 

नवनीतसमुत्पन्न सर्वसंतोषकारकम्। घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।

ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, घृतस्नानं समर्पयामि।


मधु स्नान


निम्न मंत्र से भगवान् को शहद से स्नान कराये

ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः । मध्विर्न: सन्त्वोषधीः ॥ मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव ग्वंग रजः । मधु द्यौरस्तु नः पिता ॥ 

पुष्परेणुसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु । तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, मधुस्नानं समर्पयामि। 


शर्करा स्नान


निम्न मंत्र से भगवान को शक्कर से स्नान करायें-

ॐ अपा ग्वंग रसमुद्वयस ग्वंग सूर्ये सन्त समाहितम् । अपा ग्वंग रसस्य यो 

रसस्तं वो गृह्णाम्युत्त ममुपया मगृहीतोऽसीन्द्राय त्वा जुष्टं गृह्णाम्येष ते योनि 

रिन्द्राय त्वा जुष्टतमम्॥


इक्षुरससमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदा शुभाम्।मलापहारिकां दिव्यां स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम् ।।


ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, शर्करा स्नानं समर्पयामि।


पञ्चामृत स्नान


निम्न मंत्र द्वारा गणेश जी को पञ्चामृत से स्नान कराये।

ॐ पञ्च नद्यः सरस्वतीमपि यन्ति सस्रोतसः । सरस्वती तु पञ्चधा सो देशे ऽ भव त्सरित् ॥ 

पञ्चामृतं मयानीतं पयो दधि घृतं मधु । शर्करया समायुक्तं स्नानार्थ प्रति गृह्यताम् ।। 



ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि । 


गन्धोदक स्नान


निम्न मंत्र द्वारा भगवान् को गंधोदक स्नान करायें-


ॐ अ ग्वंग शुना ते अ ग्वंग शुः पृच्यतां परुषा परुः । गन्धस्ते सोममवतु मदाय रसो अच्युतः॥ 

मलयाचलसम्भूतचन्दनेन विनिःसृतम् । इदं गन्धोदकस्नानं कुङ्कुमाक्तं च गृह्यताम ।। 

ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, गन्धोदकस्नानं समर्पयामि । 

शुद्धोदक स्नान


शुद्ध जल से स्नान कराये।


शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्त आश्विनाः श्येत: श्येताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णा यामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपाः पार्जन्याः ॥


गङ्गा च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदा सिन्धुकावेरी स्नानार्थं प्रति गृह्यताम् ।।



ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, शुद्धोदकस्नान समर्पयामि।


आचमन


शुद्धोदक स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।आचमन के लिये जल दे।
         
                     

वस्त्र

वस्त्र समर्पित करे

युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः । तं धीरासः कवय उन्नयन्ति स्वाध्यो३ मनसा देवयन्तः ।। 

शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् । देहालङ्करणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥ 


ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, वस्त्रं समर्पयामि ।



आचमन

वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।आचमन के लिये जल दें |


उप वस्त्र

उपवस्त्र समर्पित करे।


ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः । वासो अग्ने विश्वरूप ग्वंग सं व्ययस्व विभावसो ।

यस्याभावेन शास्त्रोक्तं कर्म किञ्चिन्न सिध्यति । उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकर्मोपकारकम् ।। 

ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि। 

आचमन

उप वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।आचमन के लिये जल दे।


यज्ञोपवीत

निम्न मंत्र से भगवान् को यज्ञोपवीत अर्पित करें -

ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् । आयुष्यमग्नयं प्रतिमुश्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।।

यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवीतेनोपनह्यामि । नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् । उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ।। 

ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्री गणेशाय नम:, यज्ञोपवीतं समर्पयामि। 

आचमन

यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि । 
आचमन के लिये जल दें |

चन्दन


निम्नलिखित मंत्र से चन्दन अर्पित करे ।

ॐ त्वां गन्धर्वा अखनंस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः । त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्माद मुच्यत ।। 

श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ ! चन्दनं प्रति गृह्यताम्॥


ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, चन्दनानुलेपनं समर्पयामि ।


अक्षत

निम्न मंत्र बोलते हुए अक्षत चढ़ाये।

ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यव प्रिया अधूषत । अस्तोषत स्वभानवो विप्रा नविष्ठया मतीयोजा विन्द्र ते हरी ॥ 

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुमाक्ताः सुशोभिताः । मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर


ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, अक्षतान समर्पयामि। 



पुष्पमाला

पुष्पमाला समर्पित करे ।

ॐ ओषधीः प्रति मोदध्वं पुष्पवती: प्रसूवरीः । अश्वा इव सजित्वरीवर्वीरुधः पारयिष्णवः ।। 

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।
ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, पुष्पमालां समर्पयामि । 

दूर्वा


निम्नलिखित मंत्र से दूर्वा चढ़ाये।

ॐ काण्डाकाण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि । एवा नो दूर्वे प्रतनु सहस्त्रेण शतेन च ॥ 

दूर्वाङ्कुरान् सुहरितानमृतान् मङ्गलप्रदान् । आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण गणनायक ।। 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, दूर्वाङ्कुरान समर्पयामि । 

सिंदूर


सिन्दूर अर्पित करे।

ॐ सिन्धोरिव प्राध्वने शूघनासो वातप्रमियः पतयन्ति यह्वा:। घृतस्य धारा अरुषो न वाजी काष्ठा भिन्दन्नूर्मिभिः पिन्वमानः ।। 

 सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रति गृह्यताम् ।।

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, सिन्दूरं समर्पयामि । 

अबीर-गुलाल 



अबीर आदि चढ़ाये।

ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्याया हेतिं परिबाधमानः । हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान् पुमान् पुमा ग्वंग सं परि पातु विश्वतः ।। 


अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम् । नाना परिमलं द्रव्यं गृहाण परमेश्वर ।। 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि।


सुगन्धित द्रव्य


सुगन्धित द्रव्य अर्पण करे।

दिव्यगन्धसमायुक्तं महापरिमलाद्भुतम् । गन्धद्रव्यमिदं भक्त्या दत्तं वै परि गृह्यताम् ।।

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, सुगन्धितद्रव्यं समर्पयामि ।

धूप

धूप दिखाये।

ॐ धूरसि धूर्व धूर्वन्तं धूर्व तं योऽस्मान् धूर्वति तं धूर्व यं वयं धूर्वाम:। देवानामसि वह्नितम ग्वंग सस्नितमं पप्रितमं जुष्टतमं देवहूतमम् ।। 

वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः । आघ्रेय: सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रति गृह्यताम् ।।
 
ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, धूपमाघ्रापयामि।

दीप


दीप दिखाये।

ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा सूर्योज्योतिर्ज्योति: सूर्यः स्वाहा । अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा सूर्यो वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा ।। ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा ।।
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया ।दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यति मिरा पहम् ॥
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने । त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीप ज्योति र्नमोऽस्तु ते ॥


ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, दीपं दर्शयामि ।

हस्त प्रक्षालन

ॐ हृषीकेशाय नमः' कहकर हाथ धो ले।

नैवेद्य

नैवेद्य निवेदित करे।

ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्ष ग्वंग शीर्ष्णो द्यौः समवर्तत । पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ२ अकल्पयन् ।।

ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा ।
ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ समानाय स्वाहा ।
ॐ उदानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा । ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा।

शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च। आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यम् प्रतिगृह्यताम् ।।

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, नैवेद्य निवेदयामि । 

आचमन

नैवेद्यान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि। जल समर्पित करे।

ऋतुफल

ऋतुफल अर्पित करे।

ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ग्वंग हसः ।। 

इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव । तेन मे सफला वाप्ति र्भवेज्जन्मनि जन्मनि ।। 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, ऋतुफलानि समर्पयामि । 

आचमन


फलान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि । आचमनीयं जल अर्पित करे।

उत्तरा पोऽशन

उत्तरापोऽशनार्थे जलं समर्पयामि। गणेशाय नमः जल दे।

करोद्वर्तन


मलयचन्दन समर्पित करे।

ॐ ग्वंग शुना ते अ ग्वंग शुः पृच्यतां परुषा परुः । गन्धस्ते सोममवतु मदाय रसो अच्युतः ।। 

चन्दनं मलयोद्भूतं कस्तूर्यादिसमन्वितम् । करोद्वर्तनकं देव गृहाण परमेश्वर ।।


ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, करोद्वर्तनकं चन्दनं समर्पयामि ।

ताम्बूल


इलायचीलौंग-सुपारी के साथ ताम्बूल अर्पित करे।

ॐ यत्पुरुषेण हविधा देवा यज्ञमतन्वत । वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ।।

पूगीफलं महाद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् । एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्बूलं प्रति गृह्यताम्॥
 
ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, मुखवासार्थम् एलालवंगपूगीफलसहितं ताम्बूलं समर्पयामि ।

दक्षिणा 


द्रव्य दक्षिणा समर्पित करे ।

ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् । स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ।। 

हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः । अनन्त पुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥ 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, कृतायाः पूजायाः सद्गुण्यार्थे द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि ।

आरती

कर्पूर की आरती करे-

ॐ इद ग्वंग हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीर ग्वंग सर्वगण ग्वंग स्वस्तये। आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्य भयसनि । अग्निः प्रजां बहुलां मे करोत्वनं पयो रेतो अस्मासु धत्त ।। 

ॐ आ रात्रि पार्थिव ग्वंग रजः पितुरप्रायि धामभिः । दिवः सदा ग्वंग सि बृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तमः ।। 
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्। आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव ॥

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, आरार्तिकं समर्पयामि। आरती के बाद जल गिरा दे

पुष्पाञ्जलि


पुष्पाञ्जलि अर्पित करे।

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् । ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ।। 

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च। पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर ।

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि। 

प्रदक्षिणा

प्रदक्षिणा करे।

ॐ ये तीर्थानि प्रचरन्ति सृकाहस्ता निषङ्गिणः । तेषा सहस्रयोजनेऽव धन्वानि तन्मसि । 

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणां पदे पदे ।। 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, प्रदक्षिणां समर्पयामि ।

विशेषार्घ्य मंत्र

ताम्रपात्र में जल, चन्दन, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा और दक्षिणा रखकर अर्घ्यपात्र को हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए विशेषार्घ्य दे।

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षक । भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात् ।।

द्वैमातुर कृपासिन्धो षाण्मातुराग्रज प्रभो । वरदस्त्वं वरं देहि वाञ्छितं वाञ्छितार्थद ।। 

अनेन सफलार्घ्येण वरदोऽस्तु सदा मम । 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, विशेषार्घ्यं समर्पयामि । 

प्रार्थना


विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय ।नागाननाय श्रुति यज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ।। 

भक्तार्ति नाशन पराय गणेश्वराय सर्वे श्वराय शुभदाय सुरेश्वराय । विद्याधराय विकटाय च वामनाय भक्त प्रसन्न वरदाय नमो नमस्ते ।।

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः नमस्ते रुद्र रूपाय करि रूपाय ते नमः ।विश्व रूप स्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे भक्त प्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक ।।

साष्टाङ्ग नमस्कार करे ।


गणेशपूजने कर्म यन्यूनमधिकं कृतम्। तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोऽस्तु सदा मम ।। 

ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री गणेशाय नम:, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि । 


अनया पूजया भगवन श्री गणेश प्रीयेताम, न मम ।

ऐसा कहकर समस्त पूजन कर्म भगवान को समर्पित कर दे| 





(इति श्री गणेश पूजन विधि मंत्र सहित)

गणेश पूजा विधि मंत्र सहित में हमने सिखा गणेश पांच उपचार पूजा विधि और  गणेश षोडशोपचार पूजन विधि से भगवान श्री गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए | गणेश पूजन विधि मंत्र सहित  इस लेख में यदि भूलवस कोई त्रुटी रह गयी हो तो क्षमा करें | और उसमे आवश्यक सुधार हेतु हमे आवस्य सूचित करें|

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1 टिप्पणियाँ

आस्था दरबार से जुड़ने के लिए धन्यवाद ||
||जय श्री राधे ||

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